दिन भर की थकान को मिटाया जाए
चलो फ़िर सितारों की पनाह में सोया जाए !
मेरे आँगन में जो इतनी रौशनी हैए तुम से है
वो रात को भी चांदनी में नहला जाए !
फूलों से चेहरे, मासूम सी हसीं मेरे हिस्से है
क्यों ना फ़िर नाज़ किस्मत पर किया जाए !
सीने से लगाकर मिलती है जो ख़ुशी
कैसे शब्दों में उसे बयाँ किया जाए !
कमल सी आँखें, गुलाब से होंठ,नर्म हथेली
तस्सवुर में है इतना सुकूं मानो खुदा से मिला जाए !
चहकते हैं दो पंछी आँगन में मेरे
यथार्थ की खूबसूरती पर कैसे इतराया जाए !
उनकी दुनिया हूँ मैं; मेरा जहां वो
होने से उनके अपने होने का अर्थ समझ आये !
हर दिन देखना चंद्रकलाओं सा बढ़ते हुए
अपने बचपन को संग उनके फ़िर से जिया जाए !
जिन जुगनुओं से रोशन है मेरा जहाँ
गले लगाकर उन्हें क्यूँ ना शुक्रिया कहा जाए....!!
मोनिका यादव
