दो सितारे

दो सितारे

दिन भर की थकान को मिटाया जाए
चलो फ़िर सितारों की पनाह में सोया जाए !

मेरे आँगन में जो इतनी रौशनी हैए तुम से है
वो रात को भी चांदनी में नहला जाए !

फूलों से चेहरे, मासूम सी हसीं मेरे हिस्से है
क्यों ना फ़िर नाज़ किस्मत पर किया जाए !

सीने से लगाकर मिलती है जो ख़ुशी
कैसे शब्दों में उसे बयाँ किया जाए !

कमल सी आँखें, गुलाब से होंठ,नर्म हथेली
तस्सवुर में है इतना सुकूं मानो खुदा से मिला जाए !

चहकते हैं दो पंछी आँगन में मेरे
यथार्थ की खूबसूरती पर कैसे इतराया जाए !

उनकी दुनिया हूँ मैं; मेरा जहां वो
होने से उनके अपने होने का अर्थ समझ आये !

हर दिन देखना चंद्रकलाओं सा बढ़ते हुए
अपने बचपन को संग उनके फ़िर से जिया जाए !

जिन जुगनुओं से रोशन है मेरा जहाँ
गले लगाकर उन्हें क्यूँ ना शुक्रिया कहा जाए....!!

                              मोनिका यादव


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  • @VANDNA YADAV 3/22/2022 4:26:16 PM

    Expressed so simply, yet perfectly.

  • @ 3/22/2022 10:49:19 AM